” सदी – 2020 “

” दौर भलाइ का ना रहा है

रुख हवा का भी बदल सा गया है ,

फरमान मौत का ,तो हवा में भी हो सक्ता है

सास लेना जैसे गुनाह सा हो गया है ;

तबाही इंसानी नस्ल की

खामोशी में मजे ले रही है ,

कोशिशें जंग – ए – मौत जीतने की

दाँव पे , लाखों ज़िंदगियाँ माँग रही है ;

ना काला , ना गोरा , ना ऊँचा , ना नीचा

ना अमीर , ना गरीब , बक्षा जा रहा है ,

न कौनसा मज़हब , न कोई मुल्क

उससे जाना जा रहा है ;

ना सरहद , ना तकसीम

देखी गई है ,

तबाही तो ,खुद-मुख्तार को भी

खोखला कर गई है ;

गुरूर उसका ……………..

इक पल में मिट्टी बन गया है ,

लाशें अनगिनत……. दफनाने

कब्रिस्तान भी कम पड़ रहा है ;

इंसान , इंसान का दुश्मन बना बैठा है

खौफ ” महामारी ” का इतना ,बेशुमार फैला है ,

मंदिर , मस्जिद , गिरिजाघरें , ताला बंद कर

वो , सफेद लिबास पहना मुस्तशफोंमें उतर आया है ;

दवा और दुआँ संग

मशर्ते फसलें , भी जरूरी है ,

अपनोंका खयाल करने

उन्हींसे दूरियाँ बढ़ा रहे है ;

अब वो घड़ी , जल्द ही आएगी

उगता सूरज , नई रोशनी आएगी ,

फेफड़ें फूलने तक , साफ सांसे ली जाएगी

आबाद ‘ शान – ए- हिंदोस्ताँ ‘, और

हर चेहरे पे , उम्मीद भरी हँसी छाएगी । “

INDIA FIGHTS BACK……

#COVID19

32 thoughts on “” सदी – 2020 “

  1. सरहद पे सैनिक मौत से जूंज रहे है
    और हर जगह एक कीटाणु मौत ला रहा है

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