”
एक और दौर बित गया
वक़्त इसका , अब सिमट गया ;
किस्सा एक अंत का
नए अफसाने के , आरंभ् से जुड गया:
बिते हुए ने , कितना दिया, कितना लिया
हिसाब , किताब ही ना रहा ;
जो रहा , वो अच्छा
मानके मनचला :
थे कुछ गीले , और शिकवें भी
कुछ लढाइयाँ थी , और झगड़े भी ;
दुनिया को हराके कोई जीता , तो
कोई जीत के भी , हारा खुद से हि :
किसीका सपना टूटा
किसीका अपना छुटा;
किसीका दर्द….. इतना….. की
उसे तो , अपनोंनेही लूटा :
365 दीनों के लम्बे , चलचित्र में
कहानियाँ रंगीन, अनगिनत थी ;
ख़त्म किसीकी पहलेही हुई तो. (Death)
कइयोंकि शुरुवात हि , अब हुई : (Birth)
कोई मन्नतों से मिला किसी को
किसीकी दूँआ भी ख़ारिज हुई ;
किसीका जिना दुशवार था
तो , किसीकी मौत भी ;
अब….. नए फसाने में. …………
परतें नई कहानियों की
दीनबदिन खुलती जाएगी :
किसकी सच्ची , किसकी झूठी
क्या , कभी , समझ आएगी ????????
समझ आना , ना आना
खेल हे मुकद्दर का ;
आँखे जो देख , वही सच्चाई
मानना हि फर्ज मेरा :
अंत फिर इस फ़साने का भी नए से जुड़ेगा
ये चक्र सदैव् चलता हि रहेगा ;
ठहराव मेरा कहाँ , यें मुझेही ढूंढना होगा
ना मिलें कहीं …………
तो ए – मुसाफिर
वो , तुझेही, बनाना , होगा………..।
…”
#NEW YEAR
Context कोणाला कळाला तर comment करून नक्की सांगा……
Please comment and tell the context if understood …😅😉